Gigai Mata Chalisa

         गीगाई माता चालिसा 


गीगल मा चालिसा Lyrics 

श्री गीगाई चालीसा
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बुध्दि नही विवेक, सुमिरण ना जाण सही | टाबर वाली टेक, गाडी राखी गीगला ||

  1. श्री गीगल गुण सागर माता दारिद भंजन सम्पति दाता ।
  2. निशी वासर ध्याऊं जगदम्बा, कष्ठ हरो करो न विलम्बा ।
  3. जोगीदान जनक तिहारे, जिण घर आवड़ आप पधारे ।
  4. सांपू कंवर की कोख से अम्बा, आप अवतार लियो जगदम्बा ।
  5. विक्रम संवत सत्रासो तीसा, गीगल रूप धरयो भुजबीशा ।
  6. बीठू वंश को उज्ज्वल किन्हा, भक्तन भार आप हर लिन्हा ।
  7. नगर इन्दौखा मन्दिर भारी, दर्शन करती दुनियां सारी ।
  8. निशदिन जोत जगे मढ़ माँही, कवि कर जोड़ मस्त मन माँही ।
  9. सुन्दर तरुवर मन को मोहे, दर्शन करयां सब सुख होवे ।
  10. नोपत नगारा झालर बाजे, सेवग मिल सब सेवा साजे ।
  11. लाल धजा शिखर पर सोहे, दूर-दूर से दर्शन होवे ।
  12. सुन्दर सुथान करनी थल मांही, नवलख सगत्यां संग रमाही ।
  13. बावन भैरू चौसठ जोगणी आय अखाड़े रास रचाणी ।
  14. नेति-नेति कहे वेद बखाणी, कैसे लेख लिखू मैं भवानी ।
  15. कलयुग में कृपा तूं किन्हीं, तुरत ताण तुर्का ने दिन्ही । 
  16. नावद गाँव गौ गिणती लागे, गीगल कहे चलूंगी सागे ।
  17. राजल रूप नवरोज छुड़ाई, गीगल गौ धन कष्ट कटाई ।
  18. हिन्दुन धर्म आप बचाया, सुरभि तणा सिंह सजाया ।
  19. गऊ रक्षा के कारण बाई, मुगलां रो माँ मान मिटाई ।
  20. भीड़ पड़ी जबही कुल चारण, जेज न लाई आप उबारण ।
  21. आप नगर अजमेर पधारया, सेवक जना रा काज सुधारया ।
  22. आईदान जब विनती किन्हीं, नैनन जोत आप तब दिन्ही ।
  23. रत्न राजा रथ रूकवायो, केहर रूप आप अपणायो ।
  24. मात महीप मनाणा मारयो, संत जना को काज सुधार्यो ।
  25. रतनसिंह बीठू बड भाई, खड़ग हाथ ले फौज खपाई ।
  26. रजपूतां री रही सहाई, रण में जीत करी जोगाई ।
  27. बख्तावर मन बात बिचारी, अम्बे सन्मुख अर्ज उच्चारी ।
  28. सगती दिज्यो रण में साथ, मेहर करो मेरी गीगल मात ।
  29. जग जननी जगदम्बे माता ‘सुर-मुनि तेरा ध्यान लगाता ।
  30. शरणागत पालक रखवाली, लाज रखो मां लाल धजाली ।
  31. संकट में भक्तां हितकारी मेरी सहाय करो महतारी ।
  32. जब-जब तेरा ध्यान लगाया, तब-तब मैया मोही बचाया ।
  33. भाटी भक्त की कीध सहार्ड कूप धुड्न्ता ज्यान बचाई ।
  34. प्रमाणिक गीगल रा पर्चा, चहूं दिशा में हो रही चर्चा ।
  35. तीन लोक में ज्योति तिहारी, सब सुद लिज्यो मात हमारी ।
  36. जहां यह पाठ हमेशा होई. वहां न रहे क्लेशा कोई ।
  37. बार-बार सिंवरू सुरराई, सब अपराध क्षमा कर माई ।
  38. सांझ सवेरे तेरा गुण गाऊं, ऐसी भक्ति ह्रदय में चाहूँ।
  39. घट बिच भक्ति देवो ऐसी, अमृत लाभ मिले मोय जैसी।
  40. विशनसिंह बीठू गुण गाई, अम्बा अर्पित छन्द चौपाई ।

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Post by Deepak Charan Indokha 

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