Gigai Mata Chalisa
गीगाई माता चालिसा
गीगल मा चालिसा Lyrics
श्री गीगाई चालीसा
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बुध्दि नही विवेक, सुमिरण ना जाण सही | टाबर वाली टेक, गाडी राखी गीगला ||
- श्री गीगल गुण सागर माता दारिद भंजन सम्पति दाता ।
- निशी वासर ध्याऊं जगदम्बा, कष्ठ हरो करो न विलम्बा ।
- जोगीदान जनक तिहारे, जिण घर आवड़ आप पधारे ।
- सांपू कंवर की कोख से अम्बा, आप अवतार लियो जगदम्बा ।
- विक्रम संवत सत्रासो तीसा, गीगल रूप धरयो भुजबीशा ।
- बीठू वंश को उज्ज्वल किन्हा, भक्तन भार आप हर लिन्हा ।
- नगर इन्दौखा मन्दिर भारी, दर्शन करती दुनियां सारी ।
- निशदिन जोत जगे मढ़ माँही, कवि कर जोड़ मस्त मन माँही ।
- सुन्दर तरुवर मन को मोहे, दर्शन करयां सब सुख होवे ।
- नोपत नगारा झालर बाजे, सेवग मिल सब सेवा साजे ।
- लाल धजा शिखर पर सोहे, दूर-दूर से दर्शन होवे ।
- सुन्दर सुथान करनी थल मांही, नवलख सगत्यां संग रमाही ।
- बावन भैरू चौसठ जोगणी आय अखाड़े रास रचाणी ।
- नेति-नेति कहे वेद बखाणी, कैसे लेख लिखू मैं भवानी ।
- कलयुग में कृपा तूं किन्हीं, तुरत ताण तुर्का ने दिन्ही ।
- नावद गाँव गौ गिणती लागे, गीगल कहे चलूंगी सागे ।
- राजल रूप नवरोज छुड़ाई, गीगल गौ धन कष्ट कटाई ।
- हिन्दुन धर्म आप बचाया, सुरभि तणा सिंह सजाया ।
- गऊ रक्षा के कारण बाई, मुगलां रो माँ मान मिटाई ।
- भीड़ पड़ी जबही कुल चारण, जेज न लाई आप उबारण ।
- आप नगर अजमेर पधारया, सेवक जना रा काज सुधारया ।
- आईदान जब विनती किन्हीं, नैनन जोत आप तब दिन्ही ।
- रत्न राजा रथ रूकवायो, केहर रूप आप अपणायो ।
- मात महीप मनाणा मारयो, संत जना को काज सुधार्यो ।
- रतनसिंह बीठू बड भाई, खड़ग हाथ ले फौज खपाई ।
- रजपूतां री रही सहाई, रण में जीत करी जोगाई ।
- बख्तावर मन बात बिचारी, अम्बे सन्मुख अर्ज उच्चारी ।
- सगती दिज्यो रण में साथ, मेहर करो मेरी गीगल मात ।
- जग जननी जगदम्बे माता ‘सुर-मुनि तेरा ध्यान लगाता ।
- शरणागत पालक रखवाली, लाज रखो मां लाल धजाली ।
- संकट में भक्तां हितकारी मेरी सहाय करो महतारी ।
- जब-जब तेरा ध्यान लगाया, तब-तब मैया मोही बचाया ।
- भाटी भक्त की कीध सहार्ड कूप धुड्न्ता ज्यान बचाई ।
- प्रमाणिक गीगल रा पर्चा, चहूं दिशा में हो रही चर्चा ।
- तीन लोक में ज्योति तिहारी, सब सुद लिज्यो मात हमारी ।
- जहां यह पाठ हमेशा होई. वहां न रहे क्लेशा कोई ।
- बार-बार सिंवरू सुरराई, सब अपराध क्षमा कर माई ।
- सांझ सवेरे तेरा गुण गाऊं, ऐसी भक्ति ह्रदय में चाहूँ।
- घट बिच भक्ति देवो ऐसी, अमृत लाभ मिले मोय जैसी।
- विशनसिंह बीठू गुण गाई, अम्बा अर्पित छन्द चौपाई ।
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Post by Deepak Charan Indokha
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