CharnaChar || चारण समाज || The Great Charans ||देवी पुत्र चारण

चारण कुल चारण कुल पौराणिक, ऐतिहासिक एवं सांस्कृतिक दृष्टि से अत्यंत मूल्यवान रहा है । वेदकाल में चारण शास्त्रों के रचयिता थे । तो राजपूत युग में अत्यंत निडर , सत्यवकता , कवि एवं योद्धा थे। प्राणों को न्योछावर करने की निति , धर्म , संस्कार एवं संस्कृति के रक्षक तथा जागरूक प्रहरी थे । अनेक विषयों मे प्रजा के अभ्यास एवं संस्कार के मार्गदर्शक थे । परन्तु आज के समय में चारण समाज निर्देशिका भिन्नता के प्रश्न को प्रतिष्ठा का प्रश्न बनाने लग गया है जो उचित नहीं है सारे समाज को कुरूढियौं से तिलांजली देने वाले चारण समाज ने आपसी भेदभाव की संकीर्णता का रूप धारण कर लिया है जो चारण समाज की उन्नति के मार्ग में बाधक है । आज जब विश्व बंधुतव की भावना चारो ओर प्रज्ज्वलित हो रही है तो...