Charan Shakti

CharanCharitra 
चारण चरित्र 
हम कौन हैं ?  क्या है ? और क्या थे ? और उस से भी ज्यादा महत्वपूर्ण यह है कि हमारी आने वाली पीढ़ी क्या होगी ?
                          माफ़ी चाहता हूँ कि BLOG खुलते ही 
मेंने आप पर प्रश्नों की बौछार शुरु कर दी । लेकिन यह कटु सत्य है कि हमारी आने वाली पीढ़ी को भी हम यह सब दे पाएंगे ? जो कुछ हमारे पास है और जो हमारे पुरखों ने हमें दीया है ।  क्या हम अपना अस्तित्व खो देंगे ? जी हां हम अपनी संस्कृति , पहचान , जाती , गोत्र , पुर्व में मिला हमारे पूर्वजों को सम्मान , हम सब खो देंगे ।
आज यह सब होता साफ़ साफ़ नजर आ रहा है । आज हम इस आधुनिकता के पीछे अपना अस्तित्व खो रहें हैं ।
दुसरी जातियों में अपना सम्मान निरन्तर खो रहें हैं । एक समय वह था जब यही जातियां हमें सम्मान व इज्जत देती थी , हमारे पूर्वजों को आदर व सम्मान की नजरों से देखा जाता था ।  
 जब किसी के साथ अन्याय होता या किसी को न्याय नहीं मिलता था तो वे हमारे पूर्वजों के पास आते थे यह उम्मीद लेकर की ठाकुर साहब न्याय दिलाएंगे तब ठाकुर साहब लडकर या मरकर भी न्याय दिलवाते लेकिन दिलवाते जरूर । तभी दुनिया उन्हे चारण कहती। 

मरकर भी न्याय दिलवाना , अन्याय और अत्याचार के खिलाफ आवाज़ उठाना अन्याय सहन ना करना ही उनके लिए मानव धर्म और चारण धर्म था। उनके लिए सच्चाई और न्याय के लिये मरना ही चारण धर्म था और आज भी है ।

परन्तु आज हम वो सभी बातें भुल गए हैं 
अपने स्वारथ के लिए हम ये भी भुल गए की हम कौन है ।

हम चारण है और एक चारण होता क्या है यह बात हमारे समाज के कई लोग नहीं जानते ।
आज हमारा समाज किस तरह जा रहा ह यह बात कोई नहीं जानता , सभी एक दौड़ में लगे हुए हैं , पैसा कमाने की मशीन बन गए हैं । किसी को समाज से कोई लेना देना नहीं है प्रत्येक व्यक्ति  को पैसा चाहिए समाज नहीं ।
अगर समाज नहीं चाहिए तो अपने नाम के  पीछे चारण या अपनी गौत्र लिखने के बजाय रूपये ही लिखो चारण नहीं । क्यूं ? कयोंकि यह हमारा अधिकार नहीं है हमें चारण शब्द का अर्थ है नहीं मालुम ।
जब हमें भी चारण शब्द का अर्थ नहीं मालुम तो अपनी आने वाली पीढ़ी को क्या बताएँगे । 
हमें मालुम तब होगा जब हम अपने जीवन का थोड़ा सा समय समाज को देंगे । समाज की बुराइयों पर ध्यान देकर सभी मिलकर उन्हे खत्म करेंगे समाज के प्रत्येक व्यक्ति को साथ लेकर , बिना किसी भेदभाव के अमीर - गरीब को पिछे छोड़े , वही चारण समाज बचाए जिसको हमारे पूर्वजों ने बनाया था । तभी अपनी अगली पीढ़ी चारण  कहलाएगी ।।।।।।।।।।।



अगर कोई गलती हो तो बालक समज कर क्षमा करें 
                                 धन्यवाद 
 दीपक चारण (कुंवर चारण)।                            इंदौखा  

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